"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-4 (विषय: बुनियाद) - Open Books Online2024-03-29T15:55:20Zhttp://www.openbooksonline.com/forum/topics/4?id=5170231%3ATopic%3A672610&feed=yes&xn_auth=noबुजुर्ग अपने पुरखो की निशानी…tag:www.openbooksonline.com,2015-07-31:5170231:Comment:6842552015-07-31T18:29:43.088Zलक्ष्मण रामानुज लडीवालाhttp://www.openbooksonline.com/profile/LaxmanPrasadLadiwala
<p>बुजुर्ग अपने पुरखो की निशानी को नहीं छोड़ते | उनकी सोच होती है की हमरे परिवार के जड़े तो यही पर है | बहुत सुंदर लघु कथा के लिए हार्दिक बधाई आद श्री गणेशजी बागी जी </p>
<p>बुजुर्ग अपने पुरखो की निशानी को नहीं छोड़ते | उनकी सोच होती है की हमरे परिवार के जड़े तो यही पर है | बहुत सुंदर लघु कथा के लिए हार्दिक बधाई आद श्री गणेशजी बागी जी </p> बहुत बहुत आभार आदरणीय नीरज शर…tag:www.openbooksonline.com,2015-07-31:5170231:Comment:6841902015-07-31T18:24:57.754Zविनय कुमारhttp://www.openbooksonline.com/profile/vinayakumarsingh
<p>बहुत बहुत आभार आदरणीय नीरज शर्मा जी , कथा को आपका अनुमोदन मिल गया , दिल को तसल्ली हुई ।</p>
<p>बहुत बहुत आभार आदरणीय नीरज शर्मा जी , कथा को आपका अनुमोदन मिल गया , दिल को तसल्ली हुई ।</p> बहुत खूब, मतलब खानदानी गुंडई…tag:www.openbooksonline.com,2015-07-31:5170231:Comment:6844342015-07-31T18:24:27.172ZEr. Ganesh Jee "Bagi"http://www.openbooksonline.com/profile/GaneshJee
<p>बहुत खूब, मतलब खानदानी गुंडई ....बढ़िया है महर्षि जी, बधाई.</p>
<p>बहुत खूब, मतलब खानदानी गुंडई ....बढ़िया है महर्षि जी, बधाई.</p> बहुत बहुत आभार आदरणीय वीर मेह…tag:www.openbooksonline.com,2015-07-31:5170231:Comment:6841892015-07-31T18:24:17.175Zविनय कुमारhttp://www.openbooksonline.com/profile/vinayakumarsingh
<p>बहुत बहुत आभार आदरणीय वीर मेहता जी , कथा को आपका अनुमोदन मिल गया , दिल को तसल्ली हुई । आप जैसे लोग ही लेखकों का उत्साह बढाकर उनसे बेहतर लिखवा देते हैं , सादर धन्यवाद..</p>
<p>बहुत बहुत आभार आदरणीय वीर मेहता जी , कथा को आपका अनुमोदन मिल गया , दिल को तसल्ली हुई । आप जैसे लोग ही लेखकों का उत्साह बढाकर उनसे बेहतर लिखवा देते हैं , सादर धन्यवाद..</p> नौजवान तैयार हो जाय तो समझो न…tag:www.openbooksonline.com,2015-07-31:5170231:Comment:6843222015-07-31T18:23:22.821Zलक्ष्मण रामानुज लडीवालाhttp://www.openbooksonline.com/profile/LaxmanPrasadLadiwala
<p>नौजवान तैयार हो जाय तो समझो नीव पक्की हो रही है | यावा शायर तैयार होरहे है इस बात की ख़ुशी भले ही मठाधीशों को न पाच रही हो | असली वीं के पत्थर तो देश समाज के नौजवान ही है | अति उत्तम और सार्थक सन्देश देती लघु कथा के हार्दिक बधाई आदरणीय श्री योगराज प्रभाकर जी | लघुकथा का गुरुत्तर दायित्व निर्वाह के लिए आपको गुरुपूर्णिमा पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ | सादर </p>
<p>नौजवान तैयार हो जाय तो समझो नीव पक्की हो रही है | यावा शायर तैयार होरहे है इस बात की ख़ुशी भले ही मठाधीशों को न पाच रही हो | असली वीं के पत्थर तो देश समाज के नौजवान ही है | अति उत्तम और सार्थक सन्देश देती लघु कथा के हार्दिक बधाई आदरणीय श्री योगराज प्रभाकर जी | लघुकथा का गुरुत्तर दायित्व निर्वाह के लिए आपको गुरुपूर्णिमा पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ | सादर </p> बहुत बहुत आभार आदरणीय अखिलेश…tag:www.openbooksonline.com,2015-07-31:5170231:Comment:6844332015-07-31T18:23:13.766Zविनय कुमारhttp://www.openbooksonline.com/profile/vinayakumarsingh
<p>बहुत बहुत आभार आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव जी , कथा को आपका अनुमोदन मिल गया , दिल को तसल्ली हुई । </p>
<p>बहुत बहुत आभार आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव जी , कथा को आपका अनुमोदन मिल गया , दिल को तसल्ली हुई । </p> आभार आ लक्ष्मण रामानुज लडीवा…tag:www.openbooksonline.com,2015-07-31:5170231:Comment:6843212015-07-31T18:22:24.558Zmeena pandeyhttp://www.openbooksonline.com/profile/meenapandey
<p>आभार आ लक्ष्मण रामानुज लडीवाला जी </p>
<p>आभार आ लक्ष्मण रामानुज लडीवाला जी </p> आदः गोपाल जी सुन्दर कथा के लि…tag:www.openbooksonline.com,2015-07-31:5170231:Comment:6841872015-07-31T18:21:33.354ZVIRENDER VEER MEHTAhttp://www.openbooksonline.com/profile/VIRENDERMEHTAVEERMEHTA
आदः गोपाल जी सुन्दर कथा के लिये अनुज की ओर से बधाई स्वीकार करे।
आदः गोपाल जी सुन्दर कथा के लिये अनुज की ओर से बधाई स्वीकार करे। आदरणीय गोपाल नारायण श्रीवास्त…tag:www.openbooksonline.com,2015-07-31:5170231:Comment:6844312015-07-31T18:21:25.625Zमिथिलेश वामनकरhttp://www.openbooksonline.com/profile/mw
<p>आदरणीय गोपाल नारायण श्रीवास्तव सर बहुत बढ़िया लघुकथा हुई है हार्दिक बधाई </p>
<p>आदरणीय गोपाल नारायण श्रीवास्तव सर बहुत बढ़िया लघुकथा हुई है हार्दिक बधाई </p> //हमें बच्चों की बुनियाद पक्क…tag:www.openbooksonline.com,2015-07-31:5170231:Comment:6843202015-07-31T18:21:21.967ZEr. Ganesh Jee "Bagi"http://www.openbooksonline.com/profile/GaneshJee
<p>//<span>हमें बच्चों की बुनियाद पक्की करनी है या अपनी?//</span></p>
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<p>गज़ब की मारक क्षमता है इस लघुकथा में, बहुत बहुत बधाई आदरणीय विनोद जी.</p>
<p>//<span>हमें बच्चों की बुनियाद पक्की करनी है या अपनी?//</span></p>
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<p>गज़ब की मारक क्षमता है इस लघुकथा में, बहुत बहुत बधाई आदरणीय विनोद जी.</p>