ओबीओ ’चित्र से काव्य तक’ छंदोत्सव" अंक- 37 की समस्त रचनाएँ - Open Books Online2024-03-29T14:33:57Zhttp://www.openbooksonline.com/forum/topics/37-1?groupUrl=pop&commentId=5170231%3AComment%3A542430&groupId=5170231%3AGroup%3A68907&feed=yes&xn_auth=noकामरूप छंद और चौपई छंद में बढ़…tag:www.openbooksonline.com,2015-07-21:5170231:Comment:6794602015-07-21T20:54:43.209Zमिथिलेश वामनकरhttp://www.openbooksonline.com/profile/mw
<p>कामरूप छंद और चौपई छंद में बढ़िया रचनाएँ </p>
<p>कामरूप छंद और चौपई छंद में बढ़िया रचनाएँ </p> अपने मेरे कहे के मर्म को समझा…tag:www.openbooksonline.com,2014-05-24:5170231:Comment:5438262014-05-24T10:01:24.630ZSaurabh Pandeyhttp://www.openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>अपने मेरे कहे के मर्म को समझा, आदरणीय लक्ष्मण प्रसादजी, कहना सार्थक हुआ.</p>
<p>सादर</p>
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<p>अपने मेरे कहे के मर्म को समझा, आदरणीय लक्ष्मण प्रसादजी, कहना सार्थक हुआ.</p>
<p>सादर</p>
<p></p> छन्दोत्सव अंक-३७ के माध्यम से…tag:www.openbooksonline.com,2014-05-24:5170231:Comment:5438112014-05-24T08:22:46.359Zलक्ष्मण रामानुज लडीवालाhttp://www.openbooksonline.com/profile/LaxmanPrasadLadiwala
<p>छन्दोत्सव अंक-३७ के माध्यम से मुझ जैसी बहुत से सदस्यों को नए छंद सीखने के अवसर प्राप्त हुआ | इस द्रष्टि से इस महोत्सव</p>
<p>का बहुत महत्त्व समझ में आ रहा है | नए छंद के नियम की जानकारी कराने के बाद भी सहभागिता में कमी आज नहीं तो कल दूर</p>
<p>हो जायेगी, पर सीखने सिखाने के महत्व को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता | रचनाको के सकंलन के श्रम साध्य कार्य द्वारा सभी</p>
<p>सदस्यों को लाभान्वित करने के लिए आपका बहुत बहुत आभार आदरणीय सौरभ भाई जी </p>
<p>छन्दोत्सव अंक-३७ के माध्यम से मुझ जैसी बहुत से सदस्यों को नए छंद सीखने के अवसर प्राप्त हुआ | इस द्रष्टि से इस महोत्सव</p>
<p>का बहुत महत्त्व समझ में आ रहा है | नए छंद के नियम की जानकारी कराने के बाद भी सहभागिता में कमी आज नहीं तो कल दूर</p>
<p>हो जायेगी, पर सीखने सिखाने के महत्व को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता | रचनाको के सकंलन के श्रम साध्य कार्य द्वारा सभी</p>
<p>सदस्यों को लाभान्वित करने के लिए आपका बहुत बहुत आभार आदरणीय सौरभ भाई जी </p> यह अवश्य है कि आपकी प्रतीक्षा…tag:www.openbooksonline.com,2014-05-23:5170231:Comment:5434502014-05-23T17:15:53.821ZSaurabh Pandeyhttp://www.openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>यह अवश्य है कि आपकी प्रतीक्षा थी, आदरणीय रमेश भाईजी.</p>
<p>सादर</p>
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<p>यह अवश्य है कि आपकी प्रतीक्षा थी, आदरणीय रमेश भाईजी.</p>
<p>सादर</p>
<p></p> समस्त रचनाओं का संकलन की महत्…tag:www.openbooksonline.com,2014-05-23:5170231:Comment:5433392014-05-23T16:30:07.880Zरमेश कुमार चौहानhttp://www.openbooksonline.com/profile/Rameshkumarchauhan
<p>समस्त रचनाओं का संकलन की महत्ता मेरे लिये और अधिक रहा, जब मैं अपने निजि कारण से इस आयोजन का हिस्सा न हो सका किन्तु सभी रचनाओं को आज एक साथ पढ़कर मुझे इस आयोजन से अपनापन महसूस हुआ सभी रचनाकार साथियों को उनके उत्तम रचना के लिये तथा आदरणीय मंच संचालक को इस संकलन के लिये कोटिश बधाई ।</p>
<p>समस्त रचनाओं का संकलन की महत्ता मेरे लिये और अधिक रहा, जब मैं अपने निजि कारण से इस आयोजन का हिस्सा न हो सका किन्तु सभी रचनाओं को आज एक साथ पढ़कर मुझे इस आयोजन से अपनापन महसूस हुआ सभी रचनाकार साथियों को उनके उत्तम रचना के लिये तथा आदरणीय मंच संचालक को इस संकलन के लिये कोटिश बधाई ।</p> आपके मुँह में घी-शक्कर आदरणीय…tag:www.openbooksonline.com,2014-05-21:5170231:Comment:5431072014-05-21T13:00:23.664ZSaurabh Pandeyhttp://www.openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>आपके मुँह में घी-शक्कर आदरणीय.. :-))<br/>अनुमोदन हेतु सादर धन्यवाद, भाईजी.<br/><br/></p>
<p>आपके मुँह में घी-शक्कर आदरणीय.. :-))<br/>अनुमोदन हेतु सादर धन्यवाद, भाईजी.<br/><br/></p> आपको सनातनी छन्दों पर प्रयास…tag:www.openbooksonline.com,2014-05-21:5170231:Comment:5428582014-05-21T12:57:41.855ZSaurabh Pandeyhttp://www.openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>आपको सनातनी छन्दों पर प्रयास हेतु उत्सुक होते देखना आत्मीय आश्वस्ति का कारण है, भाई शिज्जूजी. आपके प्रति मैं हृदय से धन्यवाद ज्ञापित कर रहा हूँ.</p>
<p>शुभ-शुभ</p>
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<p>आपको सनातनी छन्दों पर प्रयास हेतु उत्सुक होते देखना आत्मीय आश्वस्ति का कारण है, भाई शिज्जूजी. आपके प्रति मैं हृदय से धन्यवाद ज्ञापित कर रहा हूँ.</p>
<p>शुभ-शुभ</p>
<p></p> सादर धन्यवाद, आदरणीय अखिलेशभा…tag:www.openbooksonline.com,2014-05-21:5170231:Comment:5430352014-05-21T12:54:03.862ZSaurabh Pandeyhttp://www.openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>सादर धन्यवाद, आदरणीय अखिलेशभाईजी.</p>
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<p>सादर धन्यवाद, आदरणीय अखिलेशभाईजी.</p>
<p></p> यदि इस मंच पर के आयोजन अपने उ…tag:www.openbooksonline.com,2014-05-21:5170231:Comment:5428052014-05-21T12:50:58.582ZSaurabh Pandeyhttp://www.openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>यदि इस मंच पर के आयोजन अपने उद्येश्य के प्रति गंभीर हैं या आपको गंभीर प्रतीत हो रहे हैं तो यह आप जैसे सहभागियों की हार्दिक संलग्नता ही है. अनुमोदन के लिए हार्दिक धन्यवाद. </p>
<p>सादर</p>
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<p>यदि इस मंच पर के आयोजन अपने उद्येश्य के प्रति गंभीर हैं या आपको गंभीर प्रतीत हो रहे हैं तो यह आप जैसे सहभागियों की हार्दिक संलग्नता ही है. अनुमोदन के लिए हार्दिक धन्यवाद. </p>
<p>सादर</p>
<p></p> आपका अनुमोदन और आपकी सहभागिता…tag:www.openbooksonline.com,2014-05-21:5170231:Comment:5428562014-05-21T12:47:24.222ZSaurabh Pandeyhttp://www.openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>आपका अनुमोदन और आपकी सहभागिता उत्साहवर्द्धक है आदरणीय गिरिराजभाई.</p>
<p>सादर</p>
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<p>आपका अनुमोदन और आपकी सहभागिता उत्साहवर्द्धक है आदरणीय गिरिराजभाई.</p>
<p>सादर</p>
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