"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-27 (विषय: भंवर) - Open Books Online2024-03-29T04:39:55Zhttp://www.openbooksonline.com/forum/topics/27-1?commentId=5170231%3AComment%3A864358&x=1&feed=yes&xn_auth=noकपड़े छोटे व अभद़ थे, तभी पित…tag:www.openbooksonline.com,2017-06-30:5170231:Comment:8643582017-06-30T18:32:52.476ZSheikh Shahzad Usmanihttp://www.openbooksonline.com/profile/SheikhShahzadUsmani
कपड़े छोटे व अभद़ थे, तभी पिता ने कहा. आप शायद अन्य अर्थ ले गये, कटाक्ष पूर्ण रचना में. रचना पर समय देने के लिए व विचार साझा करने के लिए सादर हार्दिक धन्यवाद आदरणीय विनय कुमार जी.
कपड़े छोटे व अभद़ थे, तभी पिता ने कहा. आप शायद अन्य अर्थ ले गये, कटाक्ष पूर्ण रचना में. रचना पर समय देने के लिए व विचार साझा करने के लिए सादर हार्दिक धन्यवाद आदरणीय विनय कुमार जी. मैं आपकी बात से सहमत नही आ० ड…tag:www.openbooksonline.com,2017-06-30:5170231:Comment:8644512017-06-30T18:31:07.686Zयोगराज प्रभाकरhttp://www.openbooksonline.com/profile/YograjPrabhakar
<p>मैं आपकी बात से सहमत नही आ० डॉ गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी, किसानों की "मुक्ति" (ख़ुदकुशी) बेशक "भंवर" की ही तरफ इशारा कर रही है. </p>
<p>मैं आपकी बात से सहमत नही आ० डॉ गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी, किसानों की "मुक्ति" (ख़ुदकुशी) बेशक "भंवर" की ही तरफ इशारा कर रही है. </p> व्यस्तता के चलते समय देकर प्र…tag:www.openbooksonline.com,2017-06-30:5170231:Comment:8645382017-06-30T18:30:30.464ZSheikh Shahzad Usmanihttp://www.openbooksonline.com/profile/SheikhShahzadUsmani
व्यस्तता के चलते समय देकर प्रोत्साहित करने के लिए सादर हार्दिक धन्यवाद आदरणीय सुनील वर्मा जी.
व्यस्तता के चलते समय देकर प्रोत्साहित करने के लिए सादर हार्दिक धन्यवाद आदरणीय सुनील वर्मा जी. "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक…tag:www.openbooksonline.com,2017-06-30:5170231:Comment:8645372017-06-30T18:26:03.971Zयोगराज प्रभाकरhttp://www.openbooksonline.com/profile/YograjPrabhakar
<p>"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-27 को अपनी सुन्दर रचनाओं व सारगर्भित टिप्पणियों द्वारा सफल बनाने हेतु सभी सुभी साथिओं का हार्दिक आभार. इस बार आयोजन में आईं 22 में से 20 रचनाएँ संकलन के लिए स्वीकृत की गई हैं, आयोजन की अंतिम 2 रचनाएँ क्योंकि विधासम्मत एवं विषयानुकूल नहीं थीं अत: उन्हें संकलन में शामिल नहीं किया गया हैI अब अगली भेंट 30 से 31 जुलाई 2017 को गोष्ठी के 28वें अंक में होगी, जिसका विषय होगा "सुख".</p>
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<p>जय ओबीओ</p>
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<p>जय भारती </p>
<p>"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-27 को अपनी सुन्दर रचनाओं व सारगर्भित टिप्पणियों द्वारा सफल बनाने हेतु सभी सुभी साथिओं का हार्दिक आभार. इस बार आयोजन में आईं 22 में से 20 रचनाएँ संकलन के लिए स्वीकृत की गई हैं, आयोजन की अंतिम 2 रचनाएँ क्योंकि विधासम्मत एवं विषयानुकूल नहीं थीं अत: उन्हें संकलन में शामिल नहीं किया गया हैI अब अगली भेंट 30 से 31 जुलाई 2017 को गोष्ठी के 28वें अंक में होगी, जिसका विषय होगा "सुख".</p>
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<p>जय ओबीओ</p>
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<p>जय भारती </p> जिस तेजवीर सिंह जी की कथा मैं…tag:www.openbooksonline.com,2017-06-30:5170231:Comment:8643572017-06-30T18:22:17.627ZRavi Prabhakarhttp://www.openbooksonline.com/profile/RaviPrabhakar
<p>जिस तेजवीर सिंह जी की कथा मैं काफी समय से तलाश रहा हूं आप वो तलाश जाकर 'भंवर' में पूरी हुई । बहुत समय बाद आपकी तीक्ष्ण व प्रभावशाली लघुकथा पढ़ने को मिली । सादर शुभकामनाएं आदरणीय तेजवीर जी ।</p>
<p>जिस तेजवीर सिंह जी की कथा मैं काफी समय से तलाश रहा हूं आप वो तलाश जाकर 'भंवर' में पूरी हुई । बहुत समय बाद आपकी तीक्ष्ण व प्रभावशाली लघुकथा पढ़ने को मिली । सादर शुभकामनाएं आदरणीय तेजवीर जी ।</p> बढ़िया सहभागिता ौऔर आदरणीय सर…tag:www.openbooksonline.com,2017-06-30:5170231:Comment:8646392017-06-30T18:20:39.230ZSheikh Shahzad Usmanihttp://www.openbooksonline.com/profile/SheikhShahzadUsmani
बढ़िया सहभागिता ौऔर आदरणीय सर जी के मार्गदर्शन पर सादर हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ आदरणीय मनीषा जी.
बढ़िया सहभागिता ौऔर आदरणीय सर जी के मार्गदर्शन पर सादर हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ आदरणीय मनीषा जी. आयोजन में अक्सर लेखक दिए गए…tag:www.openbooksonline.com,2017-06-30:5170231:Comment:8645352017-06-30T18:12:04.235ZRavi Prabhakarhttp://www.openbooksonline.com/profile/RaviPrabhakar
<p>आयोजन में अक्सर लेखक दिए गए विषय को ही अपनी लघुकथा का शीर्षक बना लेता है जो कई बार ठीक नहीं लगता परन्तु आपकी लघुकथा का शीर्षक ही लघुकथा का वैशिष्ट्य है। इससे सटीक शीर्षक हो ही नहीं सकता था। आदरणीय प्रधान संपादक जी की टिप्पणी से पूरी तरह सहमत । प्रस्तुत लघुकथा की सूक्ष्मता देखते ही बनती है । नतमस्तक आपकी लेखनी के प्रति । पूरी लघुकथा में जो परिवेश निर्माण किया है वह प्रशंसनीया है । हार्दिक शुभकामनाएं ।</p>
<p>आयोजन में अक्सर लेखक दिए गए विषय को ही अपनी लघुकथा का शीर्षक बना लेता है जो कई बार ठीक नहीं लगता परन्तु आपकी लघुकथा का शीर्षक ही लघुकथा का वैशिष्ट्य है। इससे सटीक शीर्षक हो ही नहीं सकता था। आदरणीय प्रधान संपादक जी की टिप्पणी से पूरी तरह सहमत । प्रस्तुत लघुकथा की सूक्ष्मता देखते ही बनती है । नतमस्तक आपकी लेखनी के प्रति । पूरी लघुकथा में जो परिवेश निर्माण किया है वह प्रशंसनीया है । हार्दिक शुभकामनाएं ।</p> आदरणीय रवि प्रभाकर जी आदाब,लघ…tag:www.openbooksonline.com,2017-06-30:5170231:Comment:8643552017-06-30T18:04:30.894ZMohammed Arifhttp://www.openbooksonline.com/profile/MohammedArif
आदरणीय रवि प्रभाकर जी आदाब,लघुकथा पर अपनी प्रतिक्रिया देने कि बहुत-बहुत आभार ।
आदरणीय रवि प्रभाकर जी आदाब,लघुकथा पर अपनी प्रतिक्रिया देने कि बहुत-बहुत आभार । बहुत खूब आदरणीय अजय गुप्ता ज…tag:www.openbooksonline.com,2017-06-30:5170231:Comment:8644432017-06-30T18:02:39.741ZRavi Prabhakarhttp://www.openbooksonline.com/profile/RaviPrabhakar
<p>बहुत खूब आदरणीय अजय गुप्ता जी । इस आयोजन की श्रेष्ठ लघुकथाओं में आपकी इस लघुकथा का शुमार होगा । कमाल का कथानक ढूंढ कर लाए हैं आप । मन खुश हो गया । परन्तु प्रस्तुतिकरण कुछ कमजोर रह गया। लघुकथा का शीर्षक न होना भी खटक रहा है । सादर शुभकामनाएं</p>
<p>बहुत खूब आदरणीय अजय गुप्ता जी । इस आयोजन की श्रेष्ठ लघुकथाओं में आपकी इस लघुकथा का शुमार होगा । कमाल का कथानक ढूंढ कर लाए हैं आप । मन खुश हो गया । परन्तु प्रस्तुतिकरण कुछ कमजोर रह गया। लघुकथा का शीर्षक न होना भी खटक रहा है । सादर शुभकामनाएं</p> आदरणीया नयना आरती जी आदाब,लघु…tag:www.openbooksonline.com,2017-06-30:5170231:Comment:8646372017-06-30T18:01:47.582ZMohammed Arifhttp://www.openbooksonline.com/profile/MohammedArif
आदरणीया नयना आरती जी आदाब,लघुकथा पर अपनी टिप्पणी से अवगत करवाने बहुत-बहुत आभार । आज किसान के पास एक मात्र सहारा आत्महत्या ही तो रह गया है ।
आदरणीया नयना आरती जी आदाब,लघुकथा पर अपनी टिप्पणी से अवगत करवाने बहुत-बहुत आभार । आज किसान के पास एक मात्र सहारा आत्महत्या ही तो रह गया है ।