ओबीओ लाईव लघुकथा गोष्ठी अंक-25 में स्वीकृत लघुकथाएँ - Open Books Online2024-03-28T21:16:09Zhttp://www.openbooksonline.com/forum/topics/25-2?feed=yes&xn_auth=noमुहतरम जनाब योगराज साहिब,ओ बी…tag:www.openbooksonline.com,2017-06-03:5170231:Comment:8606662017-06-03T11:56:02.389ZTasdiq Ahmed Khanhttp://www.openbooksonline.com/profile/TasdiqAhmedKhan
मुहतरम जनाब योगराज साहिब,ओ बी ओ लाइव लघुकथा गोष्ठी अंक -25 का प्रमाण पत्र अभी तक प्राप्त नहीं हुआ है
मुहतरम जनाब योगराज साहिब,ओ बी ओ लाइव लघुकथा गोष्ठी अंक -25 का प्रमाण पत्र अभी तक प्राप्त नहीं हुआ है आदरणीय प्र. संपादक जी, मैंने…tag:www.openbooksonline.com,2017-05-11:5170231:Comment:8557452017-05-11T13:45:54.926Zलक्ष्मण रामानुज लडीवालाhttp://www.openbooksonline.com/profile/LaxmanPrasadLadiwala
<p>आदरणीय प्र. संपादक जी, मैंने अपनी लघु कथाओं जो क्रमांक 30-31 पर है, में टंकण त्रुटियों का सुधार कर पुनः प्रस्तुत है जो यथा स्थान प्रस्थापित कर कृतार्थ करे -</p>
<p><b>पुत्र-मोह की ज्वाला</b> <br></br> .==============<br></br> “रामदीन जी, क्या हो रहा है |”<br></br> कुछ नहीं कृष्ण दास जी, लड़के को कंपनी दोगुना पॅकेज का आँफर देकर अमेरिका भेज रही है | पर मेरा दिल नहीं मानता | लड़के शैलेन्द्र का अनुरोध है कि आप और मम्मी भी साथ चलों | सेवा निवृति के बाद यहाँ कोई काम तो है नहीं | इतने में ही लड़के शैलेन्द्र का…</p>
<p>आदरणीय प्र. संपादक जी, मैंने अपनी लघु कथाओं जो क्रमांक 30-31 पर है, में टंकण त्रुटियों का सुधार कर पुनः प्रस्तुत है जो यथा स्थान प्रस्थापित कर कृतार्थ करे -</p>
<p><b>पुत्र-मोह की ज्वाला</b> <br/> .==============<br/> “रामदीन जी, क्या हो रहा है |”<br/> कुछ नहीं कृष्ण दास जी, लड़के को कंपनी दोगुना पॅकेज का आँफर देकर अमेरिका भेज रही है | पर मेरा दिल नहीं मानता | लड़के शैलेन्द्र का अनुरोध है कि आप और मम्मी भी साथ चलों | सेवा निवृति के बाद यहाँ कोई काम तो है नहीं | इतने में ही लड़के शैलेन्द्र का फोन आ गया और कहने लगा – “तैयारी करों पापा ! कम्पनी ने पांच वर्ष का अमेरिका में जॉब करने का बांड भरवा लिया है | पांच वर्ष नौकरी कर अच्छा पैसा इकठ्ठा कर वापस लौट आयेंगे | मै कुछ ही देर में घर आ रहा हूँ |”<br/> इस पर रामदीन ने कहा “बुरा मत मानना कृष्णदास जी और न ही मै आपको डरा रहा हूँ, पर हमारे पडौस की सत्य घटना बता रहा हूँ | “मेरे पडौसी का अमेरिका में मन नहीं लगा और वापस यहाँ आ गए | उनकी पत्नी पुत्र मोह में बिमार हो गयी और कुछ ही दिन में चल बसी | उनका आपकी तरह एक मात्र लड़का कंधा देने भी नहीं आ पाया |” वे आगे बोले- "जिस इकलौते लड़के को पढ़ा-लिखा कर लायक बनाया वह अगर माँ-बाप की सेवा करना तो दूर, अंत समय भी हाथ लगाने तक को भी उपलब्ध नहीं था |"<br/> <br/> रामदीन जी कृष्णदास की बातों पर मनन करते हुए दुखी मन से अपने पुत्र शैलेन्द्र को कहाँ – “बेटा जब तू पांच वर्ष का बांड भर ही आया है तो जा, हम पति-पत्नी का तो यहाँ मेरी पेंशन से ही गुजारा हो जाएगा | मै तुझे एयरपोर्ट छोड़ आता हूँ |” उनके रवाना होते ही पीछे से बेटे शैलेन्द्र की माँ बेहोश हो गई | एयरपोर्ट से लौटकर रामदीन जी ने डाक्टर को बुलाया | चिकित्सक ने जांच कर कहाँ कि इन्हें दवा से ज्यादा तनाव-मुक्त रखने की अधिक आवश्यकता है | यह सुन रामदीन जी स्वयम ही चिंतित हो इस सोच में डूब गए कि जो पुत्र मोह की ज्वाला में जल रही है उसे तनावमुक्त कैसे ?<br/> ---------------<br/> बैसाखी बनाम होंसला -<br/> ================<br/> "डॉ. पूजा जी से बात करनी है" !<br/> "हाँ, मै डॉ. पूजा बोल रही हूँ" <br/> "डॉ. मुझे पापा जी को दिखाना है जो पाँव से चल नहीं सकते | आपके यहाँ व्हील चेयर का इंतजाम हो जायेगा" ? <br/> "हाँ, सब हो जाएगा, आप ले आये"<br/> गाडी से अपने ससुर श्री कृष्णावतार जी को उनकी बहूँ ऋतू, बिटिया भावना और पुत्र बसंत लेकर गये | जैसे तैसे अपने बहूँ और बेटे की मदद से श्री कृष्णावतार जी डॉ. के कक्ष तक गये |<br/> कृष्णावतार जी ने डॉ को बताया "डॉ साहिबा, जब मै कोई 3 वर्ष का था तभी सीढियों में पाँव फिसलने से दाएं पैर में घुटने के ऊपर जांघ में मोच आ गई और पहलवान के इलाज के दौरान जांघ की हड्डी में मवाद के कारण हड्डी गल गयी, जिसे बड़े अस्पताल के डॉ. ने काट दी । तीन चार साल इलाज चला पर कुछ राहत नहीं मिली | अब मेरी उम्र 70 वर्ष है | गत एक सप्ताह से चलना बिलकुल बंद हो गया |"<br/> डॉ ने जाँच कर कहा "उस समय इतना विकास नहीं हुआ था | लेकिन उसके बाद आपने आज से 20-25 साल पहले केलिपर बनाया होता तो ठीक रहता | आप की जांघ में हड्डी में गेप है और पाँव भी आठ इंच छोटा है तो अब तक सत्तर वर्ष कैसे चले | और आप काम क्या करते थे |"<br/> कृष्णावतार जी -<br/> "मै झुक कर एवं एडी ऊँची कर पाँव की अँगुलियों के सहारे चल रहा था | काफी मूवमेंट रहा है | कलेक्ट्रेट में लेखाकार पद पर था तथा समाजसेवी रहा हूँ | <br/> "डॉ साहिबा कहने लगी "प्रधान मंत्री मोदी की सरकार ने दिव्यांग नाम सही ही दिया है | आपको देखकर लगता है आप नहीं विकलांग तो हम है | आप इन 65-66 वर्षों में इतने चल चुके, ये आपके अंदर होंसले को बयाँ कर रहे है |"<br/> वे आगे बोली "देखो इस उम्र तक शरीर में केल्शियम और विटामिन डी की कमी हो जाने से हड्डिया कमजोर होकर सिकुड़ने लगती है | ऐसे में केल्शियम के और विटामिन डी के इंजेक्शन लिखती हूँ जो लगवा ले | अब आपकी जांघ में लचक के कारण इस उम्र में अधिक कुछ नहीं हो सकता है | फिर भी ये कार्ड लीजिये और यहाँ नाप देकर लगभग 5-6 इंच ऊँचा जूता बनवा लों"<br/> बीच में बहूँ बोली "डॉ. फिर ये चल तो पायेंगे न ?"<br/> डॉ. "जब ये बिना सहारे इतनी उम्र तक चलते रहे है तो उम्मीद करनी चाहिए कि कुछ हड्डियों में जान आने से और ऊँचे जूते के सहारे चल पायेंगे |"<br/> "ऐसे लोगो से तो हमारा होंसला और बढ़ता है | जिसके इतने बुलंद होंसले हो उन्हें बैसाखी की क्या दरकार है ?”</p>
<p>- ----<a href="https://www.facebook.com/laxmanprasad.ladiwala"><br/></a></p>
<p> </p> धन्यवाद सर !tag:www.openbooksonline.com,2017-05-05:5170231:Comment:8547192017-05-05T13:35:01.805Zannapurna bajpaihttp://www.openbooksonline.com/profile/annapurnabajpai
<p>धन्यवाद सर !</p>
<p>धन्यवाद सर !</p> अति सुंदर ! वाह ! सर मेरे लिए…tag:www.openbooksonline.com,2017-05-05:5170231:Comment:8544662017-05-05T13:31:31.695Zannapurna bajpaihttp://www.openbooksonline.com/profile/annapurnabajpai
<p>अति सुंदर ! वाह ! सर मेरे लिए भी । </p>
<p></p>
<p> अन्नपूर्णा बाजपेयी </p>
<p>278, प्रभाञ्जलि, विराट नगर </p>
<p>अहिरवां, जी टी रोड , कानपुर । </p>
<p>पिन - 208007 </p>
<p></p>
<p>अति सुंदर ! वाह ! सर मेरे लिए भी । </p>
<p></p>
<p> अन्नपूर्णा बाजपेयी </p>
<p>278, प्रभाञ्जलि, विराट नगर </p>
<p>अहिरवां, जी टी रोड , कानपुर । </p>
<p>पिन - 208007 </p>
<p></p> सभी लघु कथाओं को त्वरित संकलन…tag:www.openbooksonline.com,2017-05-05:5170231:Comment:8547152017-05-05T13:18:54.627Zannapurna bajpaihttp://www.openbooksonline.com/profile/annapurnabajpai
<p>सभी लघु कथाओं को त्वरित संकलन कर प्रस्तुत हेतु आपको व समस्त टीम को हार्दिक बधाई । </p>
<p>सभी लघु कथाओं को त्वरित संकलन कर प्रस्तुत हेतु आपको व समस्त टीम को हार्दिक बधाई । </p> प्रणाम, भाई जी लघुकथा गोष्ठ…tag:www.openbooksonline.com,2017-05-05:5170231:Comment:8544502017-05-05T08:02:10.392Zनयना(आरती)कानिटकरhttp://www.openbooksonline.com/profile/NayanaAratiKanitkar
<p>प्रणाम, भाई जी <span> <span>लघुकथा गोष्ठी के भव्य रजत जयंती अंक आयोजन ,संचालन व शानदार लघुकथाओं के संकलन हेतु ह्रदय तल से आपका अभिनंदन. इस बार आयोजन में बेहतरीन व स्तरीय रचनाएँ पढने को मिली । म्री रचनाओं को सम्मिलित करने व खुबसूरत सा प्रमाण पत्र भेजने हेतु आभार.</span></span></p>
<p>प्रणाम, भाई जी <span> <span>लघुकथा गोष्ठी के भव्य रजत जयंती अंक आयोजन ,संचालन व शानदार लघुकथाओं के संकलन हेतु ह्रदय तल से आपका अभिनंदन. इस बार आयोजन में बेहतरीन व स्तरीय रचनाएँ पढने को मिली । म्री रचनाओं को सम्मिलित करने व खुबसूरत सा प्रमाण पत्र भेजने हेतु आभार.</span></span></p> ख़ूबसूरत प्रमाण पत्र के लिये त…tag:www.openbooksonline.com,2017-05-05:5170231:Comment:8546202017-05-05T05:07:09.931ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
ख़ूबसूरत प्रमाण पत्र के लिये तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ मुहतरम ।
ख़ूबसूरत प्रमाण पत्र के लिये तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ मुहतरम । बहुत सुन्दर प्रमाण पत्र हैं ।…tag:www.openbooksonline.com,2017-05-04:5170231:Comment:8543852017-05-04T17:14:34.486ZKALPANA BHATT ('रौनक़')http://www.openbooksonline.com/profile/KALPANABHATT832
बहुत सुन्दर प्रमाण पत्र हैं । सादर धन्यवाद सर ।
बहुत सुन्दर प्रमाण पत्र हैं । सादर धन्यवाद सर । आ० योगराज सर, ओबीओ लाइव लघुकथ…tag:www.openbooksonline.com,2017-05-04:5170231:Comment:8542932017-05-04T15:11:46.807ZMahendra Kumarhttp://www.openbooksonline.com/profile/Mahendra
<p>आ० योगराज सर, <span>ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी के 25वें रजत जयंती अंक के सफल आयोजन, संचालन एवं तीव्र संकलन हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें<span>। रजत जयंती के शुभ अवसर पर विषय को मुक्त किये जाने का निर्णय निश्चित ही प्रशंसनीय है।<span> इससे आयोजन में विभिन्न रंगों से सुसज्जित उम्दा लघुकथाएँ पढ़ने का सुअवसर प्राप्त हुआ<span>। इस हेतु सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई प्रेषित है। समयाभाव के कारण मैं अन्य रचनाकारों की प्रस्तुतियों पर केवल चलताऊ टिप्पणियाँ ही कर पाया जिसका मुझे खेद है। भविष्य में इससे…</span></span></span></span></p>
<p>आ० योगराज सर, <span>ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी के 25वें रजत जयंती अंक के सफल आयोजन, संचालन एवं तीव्र संकलन हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें<span>। रजत जयंती के शुभ अवसर पर विषय को मुक्त किये जाने का निर्णय निश्चित ही प्रशंसनीय है।<span> इससे आयोजन में विभिन्न रंगों से सुसज्जित उम्दा लघुकथाएँ पढ़ने का सुअवसर प्राप्त हुआ<span>। इस हेतु सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई प्रेषित है। समयाभाव के कारण मैं अन्य रचनाकारों की प्रस्तुतियों पर केवल चलताऊ टिप्पणियाँ ही कर पाया जिसका मुझे खेद है। भविष्य में इससे बचने का पूरा </span></span></span></span>प्रयास करूँगा। ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी के उज्ज्वल भविष्य की कामना के साथ ढेर सारी शुभकामनाएँ। सादर। </p>
<p></p> बहुत ही आकर्षक प्रमाण पत्र है…tag:www.openbooksonline.com,2017-05-04:5170231:Comment:8544302017-05-04T14:59:05.868ZMahendra Kumarhttp://www.openbooksonline.com/profile/Mahendra
<p>बहुत ही आकर्षक प्रमाण पत्र है आ० योगराज सर<span>।</span></p>
<p>बहुत ही आकर्षक प्रमाण पत्र है आ० योगराज सर<span>।</span></p>