"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-23 (विषय: धारा के विपरीत) - Open Books Online2024-03-29T13:46:35Zhttp://www.openbooksonline.com/forum/topics/23?commentId=5170231%3AComment%3A839763&feed=yes&xn_auth=noजी आ0 महेंद्र जी सही कहा आपने…tag:www.openbooksonline.com,2017-02-28:5170231:Comment:8404102017-02-28T18:31:17.702Zannapurna bajpaihttp://www.openbooksonline.com/profile/annapurnabajpai
<p>जी आ0 महेंद्र जी सही कहा आपने , मैंने पहले जो कथा लिखी और पोस्ट की वो नहीं पाई । फिर पुनः लिखी जिसमें वे सभी बातें रह गईं । जो पहली कथा में लिखी थी । </p>
<p>सादर </p>
<p>जी आ0 महेंद्र जी सही कहा आपने , मैंने पहले जो कथा लिखी और पोस्ट की वो नहीं पाई । फिर पुनः लिखी जिसमें वे सभी बातें रह गईं । जो पहली कथा में लिखी थी । </p>
<p>सादर </p> हारदिक बधाई आदरणीय टी आर सुकु…tag:www.openbooksonline.com,2017-02-28:5170231:Comment:8402512017-02-28T18:28:18.440Zसतविन्द्र कुमार राणाhttp://www.openbooksonline.com/profile/28fn40mg3o5v9
हारदिक बधाई आदरणीय टी आर सुकुल जी!
हारदिक बधाई आदरणीय टी आर सुकुल जी! "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अं…tag:www.openbooksonline.com,2017-02-28:5170231:Comment:8403212017-02-28T18:27:57.890Zयोगराज प्रभाकरhttp://www.openbooksonline.com/profile/YograjPrabhakar
<p>"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-23 को सफल बनाने हेतु सभी आदरनीय साथिओं का हार्दिक आभारI </p>
<p>"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-23 को सफल बनाने हेतु सभी आदरनीय साथिओं का हार्दिक आभारI </p> बहुत बहुत आभार आपकाtag:www.openbooksonline.com,2017-02-28:5170231:Comment:8403202017-02-28T18:27:49.606Zविनय कुमारhttp://www.openbooksonline.com/profile/vinayakumarsingh
<p>बहुत बहुत आभार आपका</p>
<p>बहुत बहुत आभार आपका</p> मैं भाई महेंद्र कुमार जी से स…tag:www.openbooksonline.com,2017-02-28:5170231:Comment:8402502017-02-28T18:26:59.594Zयोगराज प्रभाकरhttp://www.openbooksonline.com/profile/YograjPrabhakar
<p>मैं भाई महेंद्र कुमार जी से सहमत हूँ, लघुकथा अधूरी और अस्पष्ट है. <span>बहरहाल आयोजन में सहभागिता हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें आ० अन्नपूर्णा जी. </span></p>
<p>मैं भाई महेंद्र कुमार जी से सहमत हूँ, लघुकथा अधूरी और अस्पष्ट है. <span>बहरहाल आयोजन में सहभागिता हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें आ० अन्नपूर्णा जी. </span></p> क्या गज़ब की कथा लिखी है , जा…tag:www.openbooksonline.com,2017-02-28:5170231:Comment:8402482017-02-28T18:26:40.778Zannapurna bajpaihttp://www.openbooksonline.com/profile/annapurnabajpai
<p>क्या गज़ब की कथा लिखी है , जानकी जी ! बहुत बढ़िया । बधाई स्वीकारें । </p>
<p>क्या गज़ब की कथा लिखी है , जानकी जी ! बहुत बढ़िया । बधाई स्वीकारें । </p> इस सुन्दर लघुकथा हेतु बधाई स्…tag:www.openbooksonline.com,2017-02-28:5170231:Comment:8400902017-02-28T18:25:19.478Zयोगराज प्रभाकरhttp://www.openbooksonline.com/profile/YograjPrabhakar
<p>इस सुन्दर लघुकथा हेतु बधाई स्वीकार करें भाई विनय कुमार सिंह जी.</p>
<p>इस सुन्दर लघुकथा हेतु बधाई स्वीकार करें भाई विनय कुमार सिंह जी.</p> साहसी कदम,वाकई रिश्तों में झू…tag:www.openbooksonline.com,2017-02-28:5170231:Comment:8402472017-02-28T18:24:57.796Zसतविन्द्र कुमार राणाhttp://www.openbooksonline.com/profile/28fn40mg3o5v9
साहसी कदम,वाकई रिश्तों में झूठ वाली धारा के विपरीत।हारदिक बधाई आदरणीया!
साहसी कदम,वाकई रिश्तों में झूठ वाली धारा के विपरीत।हारदिक बधाई आदरणीया! आ0 मुजफ्फर सिद्दकी जी बहुत बढ़…tag:www.openbooksonline.com,2017-02-28:5170231:Comment:8400892017-02-28T18:23:02.492Zannapurna bajpaihttp://www.openbooksonline.com/profile/annapurnabajpai
<p>आ0 मुजफ्फर सिद्दकी जी बहुत बढ़िया लघु कथा , <span> सशक्त वार्तालाप । </span></p>
<p><span>मेरे पास सब कुछ है लेकिन उस दुर्घटना ने मेरे सपने चकना चूर कर दिये । जिनके सहारे जीवन गतिमान होता है।</span><br/><span> फिर भी मैं ज़िन्दा रहूंगी। मैं कायर नहीं हूँ कि डर जाऊं।"</span><br/><span>मुझे देखना है ,एक इंसान बिना आशाओं के कैसे जी सकता है ?"</span></p>
<p></p>
<p>बधाई इस लघु कथा हेतु । </p>
<p>आ0 मुजफ्फर सिद्दकी जी बहुत बढ़िया लघु कथा , <span> सशक्त वार्तालाप । </span></p>
<p><span>मेरे पास सब कुछ है लेकिन उस दुर्घटना ने मेरे सपने चकना चूर कर दिये । जिनके सहारे जीवन गतिमान होता है।</span><br/><span> फिर भी मैं ज़िन्दा रहूंगी। मैं कायर नहीं हूँ कि डर जाऊं।"</span><br/><span>मुझे देखना है ,एक इंसान बिना आशाओं के कैसे जी सकता है ?"</span></p>
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<p>बधाई इस लघु कथा हेतु । </p> बहुत बढ़िया रचना विषय पर, बहु…tag:www.openbooksonline.com,2017-02-28:5170231:Comment:8402462017-02-28T18:22:56.550Zविनय कुमारhttp://www.openbooksonline.com/profile/vinayakumarsingh
<p>बहुत बढ़िया रचना विषय पर, बहु भी बेटी होती है| बहुत बहुत बधाई आपको</p>
<p>बहुत बढ़िया रचना विषय पर, बहु भी बेटी होती है| बहुत बहुत बधाई आपको</p>