"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-20 (विषय: तस्वीर का दूसरा रुख़) - Open Books Online2024-03-29T09:38:40Zhttp://www.openbooksonline.com/forum/topics/20?commentId=5170231%3AComment%3A817529&feed=yes&xn_auth=noबेहतरीन और उम्दा रचना आद मिर्…tag:www.openbooksonline.com,2016-11-30:5170231:Comment:8174912016-11-30T18:30:46.096Zrashmi tarikahttp://www.openbooksonline.com/profile/rashmitarika458
बेहतरीन और उम्दा रचना आद मिर्जा हाफिज़ जी
बेहतरीन और उम्दा रचना आद मिर्जा हाफिज़ जी आ. सतविन्द्र भाई इस तंजदार प्…tag:www.openbooksonline.com,2016-11-30:5170231:Comment:8173912016-11-30T18:27:25.026Zनयना(आरती)कानिटकरhttp://www.openbooksonline.com/profile/NayanaAratiKanitkar
<p>आ. सतविन्द्र भाई इस तंजदार प्रस्तुती के लिए बधाई स्वीकार करे</p>
<p>आ. सतविन्द्र भाई इस तंजदार प्रस्तुती के लिए बधाई स्वीकार करे</p> अच्छी कथा शशि जी । तस्वीर का…tag:www.openbooksonline.com,2016-11-30:5170231:Comment:8174902016-11-30T18:26:43.637ZSeema Singhhttp://www.openbooksonline.com/profile/Seemasingh
अच्छी कथा शशि जी । तस्वीर का अलग ही रुख दिखाती कतः पर हार्दिक शुभकामनाएं।
अच्छी कथा शशि जी । तस्वीर का अलग ही रुख दिखाती कतः पर हार्दिक शुभकामनाएं। सुन्दर प्रभावपूर्ण विषय को सा…tag:www.openbooksonline.com,2016-11-30:5170231:Comment:8173882016-11-30T18:25:08.904Zrashmi tarikahttp://www.openbooksonline.com/profile/rashmitarika458
सुन्दर प्रभावपूर्ण विषय को सार्थक करती रचना सुधीर जी।हार्दिक बधाई।
सुन्दर प्रभावपूर्ण विषय को सार्थक करती रचना सुधीर जी।हार्दिक बधाई। आ. उस्मानी जी. चूँकि अब लडकि…tag:www.openbooksonline.com,2016-11-30:5170231:Comment:8176742016-11-30T18:24:38.975Zनयना(आरती)कानिटकरhttp://www.openbooksonline.com/profile/NayanaAratiKanitkar
<p> आ. उस्मानी जी. चूँकि अब लडकिया जागरुक हो चूकी है तो वो सब तो तरुण को मिलना मुश्किल है और वैसे भी सुपर वुमन की डिमांड एक तरफ़ा क्यो हो. आप पढी-लिखी , कामकाजी, सुंदर, स्मार्ट लडकी भी चाहते है और उसे खूटे से बांधना भी, उससे तो अच्छा है कि वो कुँवारा रहे और ये बात माँ या दादी ही कह दे तो ज्यादा अच्छा. बहस का मुद्दा उठती इस शानदार प्रस्तुति पर बधाई.<br/><br/><br/></p>
<p> आ. उस्मानी जी. चूँकि अब लडकिया जागरुक हो चूकी है तो वो सब तो तरुण को मिलना मुश्किल है और वैसे भी सुपर वुमन की डिमांड एक तरफ़ा क्यो हो. आप पढी-लिखी , कामकाजी, सुंदर, स्मार्ट लडकी भी चाहते है और उसे खूटे से बांधना भी, उससे तो अच्छा है कि वो कुँवारा रहे और ये बात माँ या दादी ही कह दे तो ज्यादा अच्छा. बहस का मुद्दा उठती इस शानदार प्रस्तुति पर बधाई.<br/><br/><br/></p> बढ़िया कथा, कई बार दिखता कुछ औ…tag:www.openbooksonline.com,2016-11-30:5170231:Comment:8176732016-11-30T18:23:17.683ZSeema Singhhttp://www.openbooksonline.com/profile/Seemasingh
बढ़िया कथा, कई बार दिखता कुछ और है और होता कुछ और है। विषय के साथ न्याय करती कथा पर बहुत बधाई ।
बढ़िया कथा, कई बार दिखता कुछ और है और होता कुछ और है। विषय के साथ न्याय करती कथा पर बहुत बधाई । बहुत बढ़िया प्रस्तुति नयना जी…tag:www.openbooksonline.com,2016-11-30:5170231:Comment:8174892016-11-30T18:20:12.322Zrashmi tarikahttp://www.openbooksonline.com/profile/rashmitarika458
बहुत बढ़िया प्रस्तुति नयना जी हार्दिक बधाई स्वीकारें
बहुत बढ़िया प्रस्तुति नयना जी हार्दिक बधाई स्वीकारें क्या कहूँ शशि ! रचना में एक प…tag:www.openbooksonline.com,2016-11-30:5170231:Comment:8177092016-11-30T18:18:31.382Zrashmi tarikahttp://www.openbooksonline.com/profile/rashmitarika458
क्या कहूँ शशि ! रचना में एक पत्नी का जो दुःख उभार कर दिखाया है तुमने वो सच में तुम्हारे लफ़्ज़ों की सार्थकता बयाँ कर रहा है।बहुत बहुत बधाई इस भावपूर्ण रचना के लिए।
क्या कहूँ शशि ! रचना में एक पत्नी का जो दुःख उभार कर दिखाया है तुमने वो सच में तुम्हारे लफ़्ज़ों की सार्थकता बयाँ कर रहा है।बहुत बहुत बधाई इस भावपूर्ण रचना के लिए। बहुत बहुत आभार प्रिय नयना जी tag:www.openbooksonline.com,2016-11-30:5170231:Comment:8176722016-11-30T18:17:29.992Zrajesh kumarihttp://www.openbooksonline.com/profile/rajeshkumari
<p>बहुत बहुत आभार प्रिय नयना जी </p>
<p>बहुत बहुत आभार प्रिय नयना जी </p> बहुत उम्दा भाई विनय कुमार जी।…tag:www.openbooksonline.com,2016-11-30:5170231:Comment:8173862016-11-30T18:15:42.651ZVIRENDER VEER MEHTAhttp://www.openbooksonline.com/profile/VIRENDERMEHTAVEERMEHTA
बहुत उम्दा भाई विनय कुमार जी। रचना विषय को अप्रत्यक्ष में सार्थक करने के साथ पूर्ण रूप से अपनी बात को बखूबी पाठक के सामने रखती है। आपकी कथाओं में पारिवारिक रिश्तों और भावनाओं के बन्धन को जिस सुंदरता से दर्शाया जाता है वो बहुत काबिलेतारीफ है विनय जी। रचना कही कही शब्द सीमा को पार करती हुयी लगती है लेकिन बोझिल नही होती, ये भी आपकी लेखनी की एक विशेषता है। इस उम्दा रचना के लिए दिल से बधाई स्वीकार करे। भाई जी। सादर
बहुत उम्दा भाई विनय कुमार जी। रचना विषय को अप्रत्यक्ष में सार्थक करने के साथ पूर्ण रूप से अपनी बात को बखूबी पाठक के सामने रखती है। आपकी कथाओं में पारिवारिक रिश्तों और भावनाओं के बन्धन को जिस सुंदरता से दर्शाया जाता है वो बहुत काबिलेतारीफ है विनय जी। रचना कही कही शब्द सीमा को पार करती हुयी लगती है लेकिन बोझिल नही होती, ये भी आपकी लेखनी की एक विशेषता है। इस उम्दा रचना के लिए दिल से बधाई स्वीकार करे। भाई जी। सादर