"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-148 - Open Books Online2024-03-28T16:26:47Zhttp://www.openbooksonline.com/forum/topics/148?commentId=5170231%3AComment%3A1092528&feed=yes&xn_auth=no//हालाँकि किसी मुस्तनद शाइर क…tag:www.openbooksonline.com,2022-10-29:5170231:Comment:10925712022-10-29T18:28:17.411Zअमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवीhttp://www.openbooksonline.com/profile/0q7lh6g5bl2lz
<p style="text-align: left;">//हालाँकि किसी मुस्तनद शाइर का शे'र तो नहीं ढूँढ पाया हूँ लेकिन नस्र में ये इज़ाफ़त देखी है, जैसे कि:</p>
<p style="text-align: left;">"भारत के मैच जीतने की ख़बर आते ही 'अवाम में ख़ुशी-ओ-मसर्रत की लहर दौड़ गई।"//</p>
<p style="text-align: left;">बड़ी देर कर दी हुज़ूर आते-जाते... मगर दुरुस्त नहीं आये। </p>
<p style="text-align: left;">मुहतरम रवि भसीन 'शाहिद' जी, यहाँ बात ग़ज़ल की हो रही है जो क़वाइद की पाबन्द होती है, नस्र की नहीं जहाँ कोई पाबन्दी नहीं होती, आप जो चाहे वो…</p>
<p style="text-align: left;">//हालाँकि किसी मुस्तनद शाइर का शे'र तो नहीं ढूँढ पाया हूँ लेकिन नस्र में ये इज़ाफ़त देखी है, जैसे कि:</p>
<p style="text-align: left;">"भारत के मैच जीतने की ख़बर आते ही 'अवाम में ख़ुशी-ओ-मसर्रत की लहर दौड़ गई।"//</p>
<p style="text-align: left;">बड़ी देर कर दी हुज़ूर आते-जाते... मगर दुरुस्त नहीं आये। </p>
<p style="text-align: left;">मुहतरम रवि भसीन 'शाहिद' जी, यहाँ बात ग़ज़ल की हो रही है जो क़वाइद की पाबन्द होती है, नस्र की नहीं जहाँ कोई पाबन्दी नहीं होती, आप जो चाहे वो लफ़्ज़ इस्तेमाल कर सकते हैं वहाँ कोई बह्र आपको रोक नहीं रही होती है। </p>
<p style="text-align: left;">आपने अपना नज़रिया पेश किया है किसी शाइर या अदीब के कलाम की कोई नज़ीर पेश नहीं की है। वैसे सालिक साहिब ने भी तो सही मानकर ही ये इज़ाफ़त शामिल की थी। </p>
<p style="text-align: left;">बहरहाल चर्चा बग़ैर नतीजे के समाप्त होती है। सादर। </p>
<p style="text-align: left;">नस</p>
<p style="text-align: left;"></p> "ओ बी ओ तरही मुशाइर:" अंक-148…tag:www.openbooksonline.com,2022-10-29:5170231:Comment:10929122022-10-29T18:28:04.447ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>"ओ बी ओ तरही मुशाइर:" अंक-148 को सफल बनाने के लिए सभी ग़ज़लकारों का आभार व धन्यवाद ।</p>
<p>"ओ बी ओ तरही मुशाइर:" अंक-148 को सफल बनाने के लिए सभी ग़ज़लकारों का आभार व धन्यवाद ।</p> आदरणीय अशोक कुमार जी उम्दा ग़ज़…tag:www.openbooksonline.com,2022-10-29:5170231:Comment:10925702022-10-29T18:19:39.319Zनादिर ख़ानhttp://www.openbooksonline.com/profile/Nadir
<p>आदरणीय अशोक कुमार जी उम्दा ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकारें आदरणीय समर साहब की उपयोगी इस्लाह से ग़ज़ल और ख़ूबसूरत हो गई ।</p>
<p>आदरणीय अशोक कुमार जी उम्दा ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकारें आदरणीय समर साहब की उपयोगी इस्लाह से ग़ज़ल और ख़ूबसूरत हो गई ।</p> आदरणीय समर साहब ग़ज़ल एक नाज़ुक…tag:www.openbooksonline.com,2022-10-29:5170231:Comment:10928712022-10-29T18:17:44.011Zsurender insanhttp://www.openbooksonline.com/profile/surenderinsan
<p>आदरणीय समर साहब ग़ज़ल एक नाज़ुक विधा है। इसी को जेहन में रखते हुन सिन्फ़-नाज़ुक ग़ज़ल का इस्तेमाल किया बाकी इसे देखूंगा और। सादर जी।</p>
<p>आदरणीय समर साहब ग़ज़ल एक नाज़ुक विधा है। इसी को जेहन में रखते हुन सिन्फ़-नाज़ुक ग़ज़ल का इस्तेमाल किया बाकी इसे देखूंगा और। सादर जी।</p> आदरणीय सुरेन्द्र जी अच्छी ग़ज़…tag:www.openbooksonline.com,2022-10-29:5170231:Comment:10928702022-10-29T18:14:10.044Zनादिर ख़ानhttp://www.openbooksonline.com/profile/Nadir
<p>आदरणीय सुरेन्द्र जी अच्छी ग़ज़ल कही आपने आदरणीय समर साहब ने बेहतरीन इस्लाह की बहुत बधाई ।</p>
<p>आदरणीय सुरेन्द्र जी अच्छी ग़ज़ल कही आपने आदरणीय समर साहब ने बेहतरीन इस्लाह की बहुत बधाई ।</p> उत्साह वर्धन हेतु धन्यवाद आदर…tag:www.openbooksonline.com,2022-10-29:5170231:Comment:10925692022-10-29T18:02:26.609Zनादिर ख़ानhttp://www.openbooksonline.com/profile/Nadir
<p>उत्साह वर्धन हेतु धन्यवाद आदरणीय दंडपाणी जी </p>
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<p>उत्साह वर्धन हेतु धन्यवाद आदरणीय दंडपाणी जी </p>
<p></p> धन्यवाद आदरणीय ....लक्ष्मण जी tag:www.openbooksonline.com,2022-10-29:5170231:Comment:10928692022-10-29T18:00:52.235Zनादिर ख़ानhttp://www.openbooksonline.com/profile/Nadir
<p>धन्यवाद आदरणीय ....लक्ष्मण जी </p>
<p>धन्यवाद आदरणीय ....लक्ष्मण जी </p> आदरणीय रवि जी बेहद दिली शुक्र…tag:www.openbooksonline.com,2022-10-29:5170231:Comment:10928682022-10-29T18:00:49.434Zsurender insanhttp://www.openbooksonline.com/profile/surenderinsan
<p>आदरणीय रवि जी बेहद दिली शुक्रिया आपका हौसला अफ़जाई के लिए, सादर नमन।</p>
<p>आदरणीय रवि जी बेहद दिली शुक्रिया आपका हौसला अफ़जाई के लिए, सादर नमन।</p> जी बेहद शुक्रिया आपका आदरणीय…tag:www.openbooksonline.com,2022-10-29:5170231:Comment:10927062022-10-29T18:00:05.865Zsurender insanhttp://www.openbooksonline.com/profile/surenderinsan
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<li>जी बेहद शुक्रिया आपका आदरणीय अमीरुद्दीन जी। सादर नमन संग आभार जी। </li>
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<li>जी बेहद शुक्रिया आपका आदरणीय अमीरुद्दीन जी। सादर नमन संग आभार जी। </li>
</ul> आदरणीय दंडपाणी नाहक जी ग़ज़ल प…tag:www.openbooksonline.com,2022-10-29:5170231:Comment:10927052022-10-29T17:58:41.927Zsurender insanhttp://www.openbooksonline.com/profile/surenderinsan
<p>आदरणीय दंडपाणी नाहक जी ग़ज़ल पर हौसलाअफजाई के लिए बहुत बहुत आभार आपका। सादर नमन जी।</p>
<p>आदरणीय दंडपाणी नाहक जी ग़ज़ल पर हौसलाअफजाई के लिए बहुत बहुत आभार आपका। सादर नमन जी।</p>