"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-122 - Open Books Online2024-03-28T16:25:35Zhttp://www.openbooksonline.com/forum/topics/122-1?commentId=5170231%3AComment%3A1038564&xg_source=activity&feed=yes&xn_auth=noआ. भाई छोटेलाल जी, सादर अभिवा…tag:www.openbooksonline.com,2020-12-13:5170231:Comment:10387382020-12-13T15:35:33.606Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई छोटेलाल जी, सादर अभिवादन । अन्दाता पर सुन्दर ओजपूर्ण रचना हुई है । हार्दिक बधाई ।</p>
<p>आ. भाई छोटेलाल जी, सादर अभिवादन । अन्दाता पर सुन्दर ओजपूर्ण रचना हुई है । हार्दिक बधाई ।</p> आ. बबीता जी, प्रदत्त विषय पर…tag:www.openbooksonline.com,2020-12-13:5170231:Comment:10388212020-12-13T15:32:06.799Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. बबीता जी, प्रदत्त विषय पर सुन्दर हाइकू हुए हैं ।हार्दिक बधाई ।</p>
<p>आ. बबीता जी, प्रदत्त विषय पर सुन्दर हाइकू हुए हैं ।हार्दिक बधाई ।</p> आ. भाई छोटेलाल जी, सादर अभिवा…tag:www.openbooksonline.com,2020-12-13:5170231:Comment:10387372020-12-13T15:29:44.301Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई छोटेलाल जी, सादर अभिवादन । दोहों की प्रशंसा के लिए धन्यवाद ।</p>
<p>आ. भाई छोटेलाल जी, सादर अभिवादन । दोहों की प्रशंसा के लिए धन्यवाद ।</p> आ. प्रतिभा बहन, दोहों पर उपस्…tag:www.openbooksonline.com,2020-12-13:5170231:Comment:10386652020-12-13T15:28:34.977Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. प्रतिभा बहन, दोहों पर उपस्थिति, सराहना व उत्तम सलाह के लिए हार्दिक धन्यवाद ।</p>
<p>आ. प्रतिभा बहन, दोहों पर उपस्थिति, सराहना व उत्तम सलाह के लिए हार्दिक धन्यवाद ।</p> अन्नदाता पर सार्थक सृजन। हार्…tag:www.openbooksonline.com,2020-12-13:5170231:Comment:10387362020-12-13T15:07:29.612Zpratibha pandehttp://www.openbooksonline.com/profile/pratibhapande
<p>अन्नदाता पर सार्थक सृजन। हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय डाॅ छोटेलाल सिंह जी</p>
<p>अन्नदाता पर सार्थक सृजन। हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय डाॅ छोटेलाल सिंह जी</p> प्रदत्त विषय पर सुन्दर हाइकु।…tag:www.openbooksonline.com,2020-12-13:5170231:Comment:10386632020-12-13T14:55:19.521Zpratibha pandehttp://www.openbooksonline.com/profile/pratibhapande
<p>प्रदत्त विषय पर सुन्दर हाइकु। हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीया बबीता जी।</p>
<p>प्रदत्त विषय पर सुन्दर हाइकु। हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीया बबीता जी।</p> अन्नदाता की पीड़ा मजबूरी कहती…tag:www.openbooksonline.com,2020-12-13:5170231:Comment:10388202020-12-13T14:51:52.494Zpratibha pandehttp://www.openbooksonline.com/profile/pratibhapande
<p>अन्नदाता की पीड़ा मजबूरी कहती सार्थक दोहावली के लिये हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी।//इसे अन्नदाता मान/ इसे अन्नदाता समझ।</p>
<p>अन्नदाता की पीड़ा मजबूरी कहती सार्थक दोहावली के लिये हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी।//इसे अन्नदाता मान/ इसे अन्नदाता समझ।</p> बेहतरीन हाइकु के लिए सादर बधाईtag:www.openbooksonline.com,2020-12-13:5170231:Comment:10386582020-12-13T12:15:01.121Zडॉ छोटेलाल सिंहhttp://www.openbooksonline.com/profile/20ch7d01r75yx
<p>बेहतरीन हाइकु के लिए सादर बधाई</p>
<p>बेहतरीन हाइकु के लिए सादर बधाई</p> अन्नदाता
काँप रहा भारत का वै…tag:www.openbooksonline.com,2020-12-13:5170231:Comment:10388182020-12-13T12:13:27.709Zडॉ छोटेलाल सिंहhttp://www.openbooksonline.com/profile/20ch7d01r75yx
<p>अन्नदाता</p>
<p></p>
<p>काँप रहा भारत का वैभव, देखो अत्याचारों से<br></br>कृषक विचारे कुपित हुए हैं,इन ज़ुल्मी सरकारों से<br></br>विकल हुआ मन हर किसान का सदा क्रूर व्यवहारों से<br></br>दिग्मण्डल कम्पित होता है, जुल्म विरोधी नारों से।</p>
<p></p>
<p>बलाक्रान्त हैं भ्रांत सभी जन, हुक्मरान के घातों से<br></br>गरल उगलकर विक्षत करते, दम्भी ओछी बातों से<br></br>कृषक आठ आँसू रोते हैं, खेतों औ खलिहानों में<br></br>वेसुध पीड़ा तड़प रही है, देखो आज सिवानों में।</p>
<p></p>
<p>नहीं तज़ुर्बा मद-स्वामी को,कौन आज…</p>
<p>अन्नदाता</p>
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<p>काँप रहा भारत का वैभव, देखो अत्याचारों से<br/>कृषक विचारे कुपित हुए हैं,इन ज़ुल्मी सरकारों से<br/>विकल हुआ मन हर किसान का सदा क्रूर व्यवहारों से<br/>दिग्मण्डल कम्पित होता है, जुल्म विरोधी नारों से।</p>
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<p>बलाक्रान्त हैं भ्रांत सभी जन, हुक्मरान के घातों से<br/>गरल उगलकर विक्षत करते, दम्भी ओछी बातों से<br/>कृषक आठ आँसू रोते हैं, खेतों औ खलिहानों में<br/>वेसुध पीड़ा तड़प रही है, देखो आज सिवानों में।</p>
<p></p>
<p>नहीं तज़ुर्बा मद-स्वामी को,कौन आज समझायेगा<br/>दमन-चक्र से अन्न विधाता,कब तक अश्रु बहायेगा<br/>रुपया पैसा सोना चानी, कैसे कोई खायेगा<br/>अन्न बिना ये दृश्यमान जग,मिट्टी में मिल जाएगा।</p>
<p></p>
<p>वज्र हृदय उपधान त्याग कर,आँख उनींदी छोड़ेंगे<br/>किसान हित में आगे आकर, सबसे नाता जोड़ेंगे<br/>किसान मस्तक ऊँचा होगा,हिन्द भाग्य खुल जाएगा<br/>कोना-कोना पुलकित होगा,जब किसान मुस्काएगा।</p>
<p></p>
<p>मौलिक /अप्रकाशित</p> विषयानुकूल बेहतरीन दोहे के लि…tag:www.openbooksonline.com,2020-12-13:5170231:Comment:10385642020-12-13T12:10:07.507Zडॉ छोटेलाल सिंहhttp://www.openbooksonline.com/profile/20ch7d01r75yx
<p>विषयानुकूल बेहतरीन दोहे के लिए बहुत बहुत बधाई</p>
<p>विषयानुकूल बेहतरीन दोहे के लिए बहुत बहुत बधाई</p>