"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-110 - Open Books Online2024-03-28T15:25:12Zhttp://www.openbooksonline.com/forum/topics/110-1?commentId=5170231%3AComment%3A997824&feed=yes&xn_auth=noअप्रतिम! अनुपम लेखन आदरणीया ,…tag:www.openbooksonline.com,2019-12-15:5170231:Comment:9977482019-12-15T15:03:48.698Zsunanda jha http://www.openbooksonline.com/profile/sunandajha840
<p>अप्रतिम! अनुपम लेखन आदरणीया ,नमन है आपकी लेखनी को ।</p>
<p>मेरा हौसला बढ़ाने के हृदयतल से आभार आदरणीया ।</p>
<p>अप्रतिम! अनुपम लेखन आदरणीया ,नमन है आपकी लेखनी को ।</p>
<p>मेरा हौसला बढ़ाने के हृदयतल से आभार आदरणीया ।</p> आपको रचना पसन्द आई लेखन सार्थ…tag:www.openbooksonline.com,2019-12-15:5170231:Comment:9976602019-12-15T15:00:09.271Zsunanda jha http://www.openbooksonline.com/profile/sunandajha840
<p>आपको रचना पसन्द आई लेखन सार्थक हुआ आदरणीया ,हृदयतल से आभार आपका ।</p>
<p>आपको रचना पसन्द आई लेखन सार्थक हुआ आदरणीया ,हृदयतल से आभार आपका ।</p> आ. प्राची बहन, सादर अभिवादन।…tag:www.openbooksonline.com,2019-12-15:5170231:Comment:9976592019-12-15T14:37:08.827Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. प्राची बहन, सादर अभिवादन। सारगर्भित व प्रेरणादायी उपस्थिति के लिए ह्रिदयतल से आभार ।</p>
<p>आ. प्राची बहन, सादर अभिवादन। सारगर्भित व प्रेरणादायी उपस्थिति के लिए ह्रिदयतल से आभार ।</p> विषय - “नारी सर्वत्य पूज्यते”…tag:www.openbooksonline.com,2019-12-15:5170231:Comment:9976562019-12-15T14:25:18.431ZShlesh Chandrakarhttp://www.openbooksonline.com/profile/ShleshChandrakar
विषय - “नारी सर्वत्य पूज्यते”<br />
शास्त्रीय छंद - कुंडलियां<br />
<br />
नारी देवी रूप है, करें नहीं अपमान।<br />
हर नारी को मानिए, माता बहन समान।।<br />
माता बहन समान, सुता के जैसे मानो।<br />
सदा उचित व्यवहार, उन्हें देना है ठानो।।<br />
जिनके दम पर श्लेष, टिकी यह दुनिया सारी।<br />
पूज्यनीय प्रत्येक, यहाँ की होती नारी।।<br />
<br />
“मौलिक व अप्रकाशित"
विषय - “नारी सर्वत्य पूज्यते”<br />
शास्त्रीय छंद - कुंडलियां<br />
<br />
नारी देवी रूप है, करें नहीं अपमान।<br />
हर नारी को मानिए, माता बहन समान।।<br />
माता बहन समान, सुता के जैसे मानो।<br />
सदा उचित व्यवहार, उन्हें देना है ठानो।।<br />
जिनके दम पर श्लेष, टिकी यह दुनिया सारी।<br />
पूज्यनीय प्रत्येक, यहाँ की होती नारी।।<br />
<br />
“मौलिक व अप्रकाशित" आदरणीया डॉ प्राची सिंह जी उत्…tag:www.openbooksonline.com,2019-12-15:5170231:Comment:9978382019-12-15T14:17:01.724Zडॉ छोटेलाल सिंहhttp://www.openbooksonline.com/profile/20ch7d01r75yx
<p>आदरणीया डॉ प्राची सिंह जी उत्साह वर्धन के लिए आपका दिल से आभार</p>
<p>आदरणीया डॉ प्राची सिंह जी उत्साह वर्धन के लिए आपका दिल से आभार</p> बहुत खूबसूरत तुकांत कविता आ०…tag:www.openbooksonline.com,2019-12-15:5170231:Comment:9977472019-12-15T13:47:40.153ZDr.Prachi Singhhttp://www.openbooksonline.com/profile/DrPrachiSingh376
<p>बहुत खूबसूरत तुकांत कविता आ० छोटेलाल सिंह जी <br/>बहुत बहुत बधाई </p>
<p>बहुत खूबसूरत तुकांत कविता आ० छोटेलाल सिंह जी <br/>बहुत बहुत बधाई </p> रहे सर्वदा पूज्य जो , मातृ शक…tag:www.openbooksonline.com,2019-12-15:5170231:Comment:9978342019-12-15T13:45:06.176ZDr.Prachi Singhhttp://www.openbooksonline.com/profile/DrPrachiSingh376
<p>रहे सर्वदा पूज्य जो , मातृ शक्ति के रूप <br/>जानें क्यों उस राह पर, अब हैं अंधे कूप <br/>अब हैं अंधे कूप, कहाँ अब जाए नारी <br/>अष्ट दिशा से हाय! बरसती विपदा भारी <br/>काश सहेजे राष्ट्र स्वयं की पुण्य सम्पदा <br/>जी पाए आश्वस्त, सुरक्षित रहे सर्वदा <br/><br/>बहुत सुन्दर कुण्डलिया छंद आदरणीय सतविन्द्र कुमार राणा जी <br/>बधाई </p>
<p>रहे सर्वदा पूज्य जो , मातृ शक्ति के रूप <br/>जानें क्यों उस राह पर, अब हैं अंधे कूप <br/>अब हैं अंधे कूप, कहाँ अब जाए नारी <br/>अष्ट दिशा से हाय! बरसती विपदा भारी <br/>काश सहेजे राष्ट्र स्वयं की पुण्य सम्पदा <br/>जी पाए आश्वस्त, सुरक्षित रहे सर्वदा <br/><br/>बहुत सुन्दर कुण्डलिया छंद आदरणीय सतविन्द्र कुमार राणा जी <br/>बधाई </p> जो कुल नारी का करे, देवी सा स…tag:www.openbooksonline.com,2019-12-15:5170231:Comment:9976542019-12-15T13:14:26.818ZDr.Prachi Singhhttp://www.openbooksonline.com/profile/DrPrachiSingh376
<p>जो कुल नारी का करे, देवी सा सत्कार<br></br>उस कुल लेते जन्म हैं, अंशों में अवतार।१।</p>
<p>.............नारी का सम्मान हो, यह उसका अधिकार <br></br>.............वो संतति की वाहिनी, वो घर का आधार </p>
<p><br></br>शिव नारी के मान को, देते आधी देह<br></br>तभी अधूरा ही रहे, नारी बिन हर गेह।२।</p>
<p>............शक्ति बिना शिव भी रहें, शव सम सदा अपूर्ण <br></br>.............नर नारी के बिन कहाँ, हो पाता सम्पूर्ण </p>
<p><br></br>किया राम ने सीख जो, वही श्याम का सार<br></br>माँ जीसस की धन्य थी, दिये सही…</p>
<p>जो कुल नारी का करे, देवी सा सत्कार<br/>उस कुल लेते जन्म हैं, अंशों में अवतार।१।</p>
<p>.............नारी का सम्मान हो, यह उसका अधिकार <br/>.............वो संतति की वाहिनी, वो घर का आधार </p>
<p><br/>शिव नारी के मान को, देते आधी देह<br/>तभी अधूरा ही रहे, नारी बिन हर गेह।२।</p>
<p>............शक्ति बिना शिव भी रहें, शव सम सदा अपूर्ण <br/>.............नर नारी के बिन कहाँ, हो पाता सम्पूर्ण </p>
<p><br/>किया राम ने सीख जो, वही श्याम का सार<br/>माँ जीसस की धन्य थी, दिये सही सँस्कार।३।</p>
<p>..............राम अधूरे सिय बिना, राधा बिन ज्यों श्याम <br/>..............शक्ति बसे शिव तत्व में, तभी बने घर धाम </p>
<p><br/>नारी को सम्मानता, जब था वैदिक काल<br/>सत्कर्मी उन्नत रहा, तब मानव खुशहाल।४।</p>
<p>...............वैदिक युग में नारियां, पाती थीं सम्मान <br/>..............उनका वैदिक ज्ञान भी, गढ़ता था प्रतिमान </p>
<p></p>
<p>नारी नर की आत्मा, शतपथ कहे विचार<br/>नारी बिन नर का रहे, आधा ही आधार।५।</p>
<p>..............सृष्टि सृजित हर तत्व का, नर-नारी आधार <br/>..............दो धुर के संयोग से, सृजन करे विस्तार </p>
<p><br/>मानक सभ्य समाज का, नारी का सम्मान<br/>बढ़े धर्म सँस्कृति सदा, उससे पाकर ज्ञान।६।<br/>.............तब ही सभ्य समाज है, यदि नारी आश्वस्त <br/>.............है तब जंगल राज बस, यदि नारी है त्रस्त</p>
<p><br/>वैदिक युग कहता मिला, देवी है हर नार<br/>जैसे शिव हैं धारते, वैसे तू भी धार।७।</p>
<p>...........कब नारी की चाहना, देवी सा सम्मान <br/>...........बस इतनी है कामना, जिए आत्म अभिमान </p>
<p></p>
<p>नारी है सच मानिए, पुरुषों का सम्मान<br/>इसीलिए इसका सदा, बढ़चढ़ रखना ध्यान।८।</p>
<p>...........नर-नारी दोनों रखें, इक दूजे का ध्यान <br/>...........दोनों ही प्रतिपल करें, इक दूजे का मान </p>
<p><br/>वर तलाश उस काल में, नारी का अधिकार<br/>इस युग स्वेच्छा से नहीं, वर सकती स्वीकार।९।</p>
<p>...........स्वयं वरण वर का करे, था वैदिक अधिकार <br/>...........गरिमामय प्रारूप यह, खो बैठा आधार </p>
<p><br/>बच्चों को दे सोच नव, मानुष करती नार<br/>घर समाज या देश का, तब होता उद्धार।११।</p>
<p>...........प्रथम शिक्षिका माँ सदा, करे चरित निर्माण <br/>...........आकृति पाती सभ्यता, संस्कृति पाती प्राण <br/><br/>बहुत खूबसूरत दोहे कहे हैं आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी <br/>बहुत बहुत बधाई <br/><br/></p>
<p></p> आदरणीय लक्ष्मण धामी जी उत्साह…tag:www.openbooksonline.com,2019-12-15:5170231:Comment:9978312019-12-15T12:09:18.121Zडॉ छोटेलाल सिंहhttp://www.openbooksonline.com/profile/20ch7d01r75yx
<p>आदरणीय लक्ष्मण धामी जी उत्साह वर्धन के लिए दिल से आभार</p>
<p>आदरणीय लक्ष्मण धामी जी उत्साह वर्धन के लिए दिल से आभार</p> आदरणीय राणा जी सुंदर भावात्मक…tag:www.openbooksonline.com,2019-12-15:5170231:Comment:9978292019-12-15T12:07:33.412Zडॉ छोटेलाल सिंहhttp://www.openbooksonline.com/profile/20ch7d01r75yx
<p>आदरणीय राणा जी सुंदर भावात्मक रचना के लिए बहुत बहुत बधाई</p>
<p>आदरणीय राणा जी सुंदर भावात्मक रचना के लिए बहुत बहुत बधाई</p>