"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-103 सभी ग़ज़लों का संकलन (चिन्हित मिसरों के साथ) - Open Books Online2024-03-29T11:01:00Zhttp://www.openbooksonline.com/forum/topics/103-1?commentId=5170231%3AComment%3A972805&x=1&feed=yes&xn_auth=noजनाब राणा प्रताप सिंह जी आदाब…tag:www.openbooksonline.com,2019-02-06:5170231:Comment:9728052019-02-06T10:24:14.380ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब राणा प्रताप सिंह जी आदाब,</p>
<p>जनाब नादिर साहिब का ये मिसरा:-</p>
<p>'<span>जुल्मों सितम की ऐसी खताएँ मुझे न दो'</span></p>
<p><span>इटैलिक होना चाहिए ।</span></p>
<p></p>
<p><span>जनाब मो.नायाब की ग़ज़ल का ये मिसरा:-</span></p>
<p>'मुजरिम नहीं हैं कैसे बताएँ मुझे न दो'</p>
<p>इटैलिक होना चाहिए ।</p>
<p></p>
<p>जनाब नवीन मणि त्रिपाठी जी का ये मिसरा:-</p>
<p>'<span>घुट जाए दम मेरा वो फ़जाएँ मुझे न दो'</span></p>
<p>इटैलिक होना चाहिए ।</p>
<p>जनाब तस्दीक़ साहिब के इस शैर में शुतरगुरबा दोष…</p>
<p>जनाब राणा प्रताप सिंह जी आदाब,</p>
<p>जनाब नादिर साहिब का ये मिसरा:-</p>
<p>'<span>जुल्मों सितम की ऐसी खताएँ मुझे न दो'</span></p>
<p><span>इटैलिक होना चाहिए ।</span></p>
<p></p>
<p><span>जनाब मो.नायाब की ग़ज़ल का ये मिसरा:-</span></p>
<p>'मुजरिम नहीं हैं कैसे बताएँ मुझे न दो'</p>
<p>इटैलिक होना चाहिए ।</p>
<p></p>
<p>जनाब नवीन मणि त्रिपाठी जी का ये मिसरा:-</p>
<p>'<span>घुट जाए दम मेरा वो फ़जाएँ मुझे न दो'</span></p>
<p>इटैलिक होना चाहिए ।</p>
<p>जनाब तस्दीक़ साहिब के इस शैर में शुतरगुरबा दोष है:-</p>
<p>'<span>ओ वक़्त के हकीम हूँ बीमारे इश्क़ मैं</span><br/><span>दीदार ए यार चाहूँ दवाएँ मुझे न दो'</span></p>
<p><span>इटैलिक होना चाहिए ।</span></p>
<p><span>जनाब राज़ नवादवी जी का ये मिसरा:</span></p>
<p><span>'देदो किसी ग़रीबे मुहब्बत को ये मता'</span></p>
<p><span>इटैलिक होना चाहिए ।</span></p>
<p></p>
<p><span>जनाब अमित जी का ये मिसरा:-</span></p>
<p><span>'बीमार इश्क का हूं, दबाएँ मुझे न दो'</span></p>
<p><span>इटैलिक होना चाहिए ।</span></p>
<p></p>
<p><span>जनाब लक्ष्मण धामी जी का ये मिसरा:-</span></p>
<p><span>'मूरख हूँ मेरा ज्ञान से रिस्ता नहीं तनिक'</span></p>
<p><span>इटैलिक होना चाहिये ।</span></p>
<p></p>
<p><span>जनाब अजय गुप्ता जी का ये मिसरा:-</span></p>
<p><span>'हल्की सी किरण हो कि नज़र में रहे डगर'</span></p>
<p><span>लय में नहीं,काटना चाहिए ।</span></p>
<p></p>
<p>'<span>ओ वक़्त के हकीम हूँ बीमारे इश्क़ मैं</span><br/><span>दीदार ए यार चाहूँ दवाएँ मुझे न दो l</span></p> यथा निवेदित तथा संशोधित.tag:www.openbooksonline.com,2019-02-04:5170231:Comment:9726872019-02-04T14:09:58.252Zयोगराज प्रभाकरhttp://www.openbooksonline.com/profile/YograjPrabhakar
<p>यथा निवेदित तथा संशोधित.</p>
<p>यथा निवेदित तथा संशोधित.</p> जनाब राणा प्रताप सिंह जी आदाब…tag:www.openbooksonline.com,2019-02-04:5170231:Comment:9727562019-02-04T08:34:15.276ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब राणा प्रताप सिंह जी आदाब,तरही मुशायरा अंक-103 के संकलन के लिए बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>जनाब राणा प्रताप सिंह जी आदाब,तरही मुशायरा अंक-103 के संकलन के लिए बधाई स्वीकार करें ।</p> आद0 राणा प्रताप सिंह जी सादर…tag:www.openbooksonline.com,2019-02-04:5170231:Comment:9727462019-02-04T01:27:10.261Zनाथ सोनांचलीhttp://www.openbooksonline.com/profile/SurendraNathSingh
<p>आद0 राणा प्रताप सिंह जी सादर अभिवादन। ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा 103 के त्वरित संकलन और उसमें मेरी रचना को स्थान देने के लिए आभार सँग बधाई</p>
<p>आद0 राणा प्रताप सिंह जी सादर अभिवादन। ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा 103 के त्वरित संकलन और उसमें मेरी रचना को स्थान देने के लिए आभार सँग बधाई</p> आ. भाई राणा प्रताप जी, ओबीओ त…tag:www.openbooksonline.com,2019-02-03:5170231:Comment:9726052019-02-03T21:12:38.213Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p><span>आ. भाई राणा प्रताप जी, ओबीओ तरही मुशायरा अंक १०३ के संकलनके करण के लिए हार्दिक बधाई ।</span></p>
<p><span>साथ ही अनुरोध है कि मेरी प्रस्तुति के 6टे शेर की प्रथम पंक्ति को इस प्रकार करने की कृपा करें । सादर...</span></p>
<p><span>माना कि मुफलिसी से हुआ बेलिबास मैं</span></p>
<p><span>आ. भाई राणा प्रताप जी, ओबीओ तरही मुशायरा अंक १०३ के संकलनके करण के लिए हार्दिक बधाई ।</span></p>
<p><span>साथ ही अनुरोध है कि मेरी प्रस्तुति के 6टे शेर की प्रथम पंक्ति को इस प्रकार करने की कृपा करें । सादर...</span></p>
<p><span>माना कि मुफलिसी से हुआ बेलिबास मैं</span></p> मुहतरम जनाब राणा प्रतापसिंह स…tag:www.openbooksonline.com,2019-02-03:5170231:Comment:9728442019-02-03T15:24:39.061ZTasdiq Ahmed Khanhttp://www.openbooksonline.com/profile/TasdiqAhmedKhan
<p>मुहतरम जनाब राणा प्रतापसिंह साहिब, ओ बी ओ ला इव तरही मुशायरा अंक - 103 के त्वरित संकलन और कामयाब निज़ामत के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं I </p>
<p>मुहतरम जनाब राणा प्रतापसिंह साहिब, ओ बी ओ ला इव तरही मुशायरा अंक - 103 के त्वरित संकलन और कामयाब निज़ामत के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं I </p>